
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को जामा विधायक डॉ. लुईस मरांडी से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में एबीवीपी ने राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को स्वीकृति नहीं देने का अनुरोध किया है।
एबीवीपी ने विधेयक में कुलपति की नियुक्ति और विश्वविद्यालय के संचालन से संबंधित प्रस्तावित प्रावधानों पर विरोध जताया है। परिषद का कहना है कि विधेयक में प्रस्तावित प्रावधान विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता, अकादमिक स्वतंत्रता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
नगर सह मंत्री विशाल गुप्ता ने कहा कि यदि यह विधेयक लागू होता है, तो इससे उच्च शिक्षा का राजनीतिकरण बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि विवि में कुलपति की नियुक्ति योग्यता और अनुभव के आधार पर होनी चाहिए, न कि राजनीतिक हस्तक्षेप से।
एबीवीपी ने राज्य सरकार की क्षमता पर भी सवाल उठाया है। परिषद ने कहा कि यदि राज्य सरकार जेएसएससी और जेपीएससी को बेहतर ढंग से संचालित नहीं कर पा रही है, तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह विवि और प्रो-वीसी की नियुक्ति कैसे कर पाएगी।
परिषद ने कहा कि ऐसी सरकार से हमें कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए, एबीवीपी ने जामा विधायक से अनुरोध किया है कि वे राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को स्वीकृति न दें और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और अकादमिक स्वतंत्रता की रक्षा करें। मुख्य रूप से विभाग संगठन मंत्री हिमांशु दुबे, नगर सह मंत्री विशाल गुप्ता, विवेक धर, आदित्य जोशी, नगर कार्यालय मंत्री सुमित यादव, सोशल मीडिया प्रमुख शिवम जयसवाल,